geetgazal
आजकल हालात ही कुछ ऐसे हैं
आजकल हालात ही कुछ ऐसे हैं
लोग यूं दरियादिली दिखाने चले ।
आग अपने घर की तो दिखती नहीं
पड़ोसियों के घर की बुझाने चले ।
जगदीश तपिश
लोग यूं दरियादिली दिखाने चले ।
आग अपने घर की तो दिखती नहीं
पड़ोसियों के घर की बुझाने चले ।
जगदीश तपिश
Comment On This Poem --- Vote for this poem
आजकल हालात ही कुछ ऐसे हैं
आजकल हालात ही कुछ ऐसे हैं